वहाँ तरह-तरह की वनस्पतियाँ थीं बरगद के वन महुआ के जंगल और फलों से लदी अमराइयों के पार सब्जियों की लंबी कतार में भटक रहा था - मैं अचानक उसने मेरा रास्ता रोक कर कहा - 'आइए! बाईसवीं सदी में आपका स्वागत है' वह एक हरी मिर्च थी।
हिंदी समय में सदानंद शाही की रचनाएँ